सिंह और चूहा – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक छोटा-सा चूहा एक सिंह की मांद में घुस गया| सिंह उसे देखकर बहुत क्रोधित हुआ और गरजकर बोला – “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी आज्ञा के बिना मेरी गुफा में घुसने की? मैं तुम्हें जान से मार दूंगा|”
एक बार एक छोटा-सा चूहा एक सिंह की मांद में घुस गया| सिंह उसे देखकर बहुत क्रोधित हुआ और गरजकर बोला – “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी आज्ञा के बिना मेरी गुफा में घुसने की? मैं तुम्हें जान से मार दूंगा|”
किसी गांव में एक कुत्ता रहता था| वह झगड़ालू स्वभाव का था| एक दिन की घटना है कि वह एक अस्तबल में घुस गया और चारे की एक नांद पर चढ़ कर बैठ गया| उसे वह स्थान इतना पसंद आया कि वह दिन भर वहीं लेटा रहा|
किसी गांव में एक चरवाहा बालक रहता था| उसे गांवभर की भेड़ें चराने की जिम्मेदारी सौंपी गई| वह भेड़ों को प्रतिदिन पहाड़ी पर स्थित चरागाह में ले जाता और उन्हें चरने के लिए छोड़ देता|
एक समय की बात है, किसी कौए को नदी किनारे एक सीपी पड़ी मिल गई| उसने सोचा, उसे खाकर वह अपना पेट भरेगा| कौआ सीपी पर चोंच मारने लगा| मगर भला सीपी टूटती कैसे| सीपी तो बहुत कठोर होती है|
एक लोमड़ी थी, जो अंगूर खाने की बहुत शौकीन थी| एक बार वह अंगूरों के बाग से गुजर रही थी| चारों ओर स्वादिष्ट अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे| मगर वे सभी लोमड़ी की पहुंच से बाहर थे| अंगूरों को देखकर लोमड़ी के मुंह में बार-बार पानी भर आता था| वह सोचने लगी – ‘वाह! कितने सुंदर और मीठे अंगूर हैं|
एक बार एक बूढ़ा और उसका पुत्र दोनों अपने गधे को साथ लेकर बाजार जा रहे थे| जब वे बाजार में एक स्थान पर खड़े कुछ लोगों के पास से गुजरे तो वे सभी लोग, जिनमें बच्चे भी सम्मिलित थे, हंसने लगे| एक व्यक्ति बोला – “भला इस गधे को बिना बोझ लादे ले जाने से क्या लाभ? अरे तुम दोनों में से एक इस पर बैठ क्यों नहीं जाता?”
किसी कुत्ते ने एक कसाई की दुकान से मांस का टुकड़ा चुराया और इधर-उधर भाग कर कोई ऐसा स्थान खोजने लगा जहां शान्ति से बैठ कर वह उस मांस के टुकड़े का मजा ले सके|
एक बार की बात है कि एक भेड़िया और एक सिंह शिकार की तलाश में साथ-साथ घूम रहे थे| एक प्रकार से भेड़िया शेर का मंत्री था|
एक किसान ने जीवन भर घोर परिश्रम किया तथा अपार धन कमाया| उसके चार पुत्र थे, मगर चारों ही निकम्मे और कामचोर थे| किसान चाहता था कि उसके पुत्र भी उसके परिश्रमी जीवन का अनुसरण करें| मगर किसान के समझाने का उन पर कोई असर नहीं होता था|
एक समय की बात है| एक बारहसिंगा एक तालाब पर पानी पी रहा था| अभी बारहसिंगे ने एक-दो घूंट पानी ही पिया था कि उसकी दृष्टि तालाब के पानी में दिखाई देते अपने प्रतिबिम्ब पर पड़ी| अपने सुन्दर सींगों को देखकर वह प्रसन्न हो उठा-‘वाह! कितने सुन्दर हैं मेरे सींग!’