जैसा दोगे, वैसा पाओगे – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक बाज एक कबूतर का पीछा करते हुए एक बहेलिए के जाल में फंस गया| बाज ने फड़फड़ाकर जल काटने की कोशिश की, मगर नाकाम रहा| तभी उसने बहेलिए को आते देखा| वह भय से कांप गया|
एक बार एक बाज एक कबूतर का पीछा करते हुए एक बहेलिए के जाल में फंस गया| बाज ने फड़फड़ाकर जल काटने की कोशिश की, मगर नाकाम रहा| तभी उसने बहेलिए को आते देखा| वह भय से कांप गया|
एक बार एक बाज कहीं से उड़ता हुआ आया और पेड़ की एक डाल पर बैठ गया| उस डाल पर एक तोता पहले से ही बैठा फल खा रहा था| बाज ने कभी किसी को फल खाते नहीं देखा था| उसने कहा – “ओ तोते, मुझे तुम्हें फल खाते देख कर आश्चर्य हो रहा है|
एक बार एक किसान को पास के एक दूसरे गांव में जाना पड़ा| गांव पहुंचने के लिए एक नदी पर करना आवश्यक था| समस्या तब उत्पन्न हुई, जब वह नदी के किनारे पहुंचा| किसान को तैरना नहीं आता था| वहां नावें भी नहीं थीं| सो उसके पास एक ही रास्ता था कि वह नदी उन्हीं स्थानों से पैदल पार करे, जहां पानी की गहराई बहुत कम थी|
एक दिन एक हिरन का बच्चा तथा एक बारहसिंगा दोनों किसी जंगल में एक साथ चर रहे थे| अचानक शिकारी कुत्तों का एक झुंड उनसे कुछ दूरी पर गुजरा|
एक बार एक बगुले ने अपने बच्चों को गिद्धों से बचाने के लिए अपना घोंसला बदल दिया| उसने अपना नया घोंसला नदी के किनारे बनाया| अब वह स्वयं को सुरक्षित समझ रहा था, क्योंकि उसके नए घोंसले का पता गिद्धों या बहेलियों को नहीं था|
एक चरवाहा था| एक दिन वह हरे-भरे मैदान में अपनी भेड़ें में अपनी भेड़ें चरा रहा था| तभी उसकी नजर एक भेड़िए के बच्चे पर पड़ी| उसे उस भेड़िए के बच्चे पर दया आ गई| यह उसे उठा कर अपने घर ले आया और उसे किसी बच्चे की तरह पालने-पोसने लगा|
एक बार एक कोयल और कबूतर आपस में बातें कर रहे थे| बहेलिए ने उन दोनों को एक ही पिंजरे में बंद कर रखा था|
एक बार एक सिंह गंभीर रूप से बीमार हो गया| चूंकि वह जंगल के सभी जानवरों का राजा था, अत: जंगल के सभी जानवर झुंड बना कर उसका हालचाल पूछने आए| केवल एक लोमड़ी नहीं आई| सिंह ने तो इस बात पर ध्यान नहीं दिया, परंतु भेड़िए से यह बात छिपी नहीं रह सकी, जो उसका पुश्तैनी शत्रु था|
एक बार एक बहेलिए ने एक गाने वाली चिड़िया पकड़ी| उसको उसने एक पिंजरे में रख दिया| बहुत दिनों तक तो चिड़िया बड़ी डरी-डरी और उदास रही, मगर शीघ्र ही उसने परिस्थितियों से समझौता कर लिया|
एक मुर्गा और एक कुत्ता एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे| एक दिन वे दोनों किसी जंगल से होकर यात्रा कर रहे थे| चलते-चलते अंधेरा छाने लगा| एक बड़ा सा पेड़ देखकर दोनों मित्रों ने आराम से रात काटने की सोची|