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भोग लगाओ साईं बाबा रे मेरा प्रेम भरा प्रीति के पकवान बनाए और भाव भरे भोजन मैंने अपने हाथ से कहो तो मंगाऊं ताजा मेवा बर्फी पेड़ा पकवान रे मेरा प्रेम भरा थाल गंगा यमुना के नीर लाऊं प्रेम से पान कराऊं भोग लगाओ साईं बाबा रे

सांईं बाबा जी के 11 वचनों के अनुसार वे आज भी अपने भक्तों की सेवा के लिए तुरंत ही उपलब्ध हो जाते हैं। आओ जानतें हैं कि सांईं बाबा जी के वो 11 वचन क्या हैं?

श्री साईं बाबा के नाम से कोई विरला व्यक्ति ही होगा जो उनसे परिचित न हो| वे कलयुग के महान अवतार थे| उन्होंने किस देश, जाति, धार्मिक परिवार व कुल में जन्म लिया, यह कोई नहीं जानता| उनके पूर्वज कौन थे, उनके पिता व माता कौन थी, यह कोई नहीं जानता| 

श्री गुरु गोबिंद सिंह (Shri Guru Gobind Singh Ji) जी दोनों समय दीवान लगाकर संगत को उपदेश देकर निहाल करते थे| इस समय दो युवक पठान भी दीवान में उपस्थित होकर श्रद्धा भाव से गुरु जी के वचन सुनते|

पाँच प्यारों का चुना करना

वैसाखी संवत १७४६ वाले दिन एक बहुत बड़े पंडाल में गुरु जी का दीवान सजा| सभी संगत एकत्रित हो गई| संगत आप जी के वचन सुन ही रही थी कि गुरु जी अपने दाँये हाथ में एक चमकती हुई तलवार ले कर खड़े हो गए|

श्री गुरु तेग बहादर जी (Shri Guru Tek Bahadar Ji) के समय जब औरंगजेब के हुकम के अनुसार कश्मीर के जरनैल अफगान खां ने कश्मीर के पंडितो और हिंदुओं को कहा कि आप मुसलमान हो जाओ| अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो क़त्ल कर दिया जायेगा| कश्मीरी पंडित भयभीत हो गए|