सुदर्शन जी महाराज
उनका जन्म 2 जून 1937 को उत्तरी बिहार के सीतामढ़ी जिले के मुबारकपुर में हुआ था। उन्होंने हिंदी में एम.ए. किया, साथ ही पीएचडी, साहित्य रत्न और साहित्य विश्वार भी थे।
उनका जन्म 2 जून 1937 को उत्तरी बिहार के सीतामढ़ी जिले के मुबारकपुर में हुआ था। उन्होंने हिंदी में एम.ए. किया, साथ ही पीएचडी, साहित्य रत्न और साहित्य विश्वार भी थे।
जीवन में मिलने वाले सभी दुःखों का कारण हम परमात्मा को मान लेते हैं:-
जिंदगी में कई बार हम बहुत खुश होते हैं तो कभी दुःखी हो जाते हैं। जब हम सुख में रहते हैं तो इसकी वजह हम अपने को व अपनी योग्यता को मानते हैं, लेकिन जब हम दुःख में रहते हैं तो इसका कारण हम परमात्मा को मान लेते हैं। तब हम कहने लगते है कि यह सब परमात्मा की देन है। वास्तव में अगर हम अपने जीवन के पिछले कुछ वर्षो को देखें तो हम पायेंगे कि इस समय में हमें सुख भी आया और दुःख भी आया। लेकिन हमें याद केवल दुःख ही रहते हैं। एक कहानी है कि एक बार एक व्यक्ति का सब कुछ चला गया। उसकी नौकरी भी चली गई। जिंदगी से हताश होकर उस व्यक्ति ने आत्महत्या करने की सोची और जंगल की तरफ चल दिया। जंगल में पहुँच कर उस व्यक्ति ने सोचा कि आत्महत्या करने से पहले मैं एक बार परमात्मा की प्रार्थना अवश्य करूगाँ। उनसे आखरी बार बातचीत करूगाँ और उसके बार मैं अपने जीवन का अन्त कर लूँगा।
एक विधवा बंगालिन थी| वह अपनी पुत्री का विवाह करना चाहती थी, परंतु उसके विधवा होने के कारण कोई भी भद्र समाज का पंडित उसकी पुत्री का विवाह करने के लिए तैयार नहीं होता था, क्योंकि उन पंडितों को विधवा की पुत्री का विवाह कराने के कारण समाज से बहिष्कृत होने का डर था|
प्राचीन काल से भारत पवित्र लोगों और महान आत्मा का देश रहा है, और कई भिक्षुओं का जन्म स्थान बना रहा है। जब भी धरती पर धर्मी, न्याय और धर्म का नुकसान होता है, भगवान अपनी पवित्र आत्मा को अन्याय और अनैतिकता को समाप्त करने और लोगों, समाज और इस दुनिया को भगवान की शिक्षाओं से उजागर करने के लिए भेजता है ताकि वे एक संतुलित जीवन जी सकें।
श्री ठाकुरजी के दादा, श्री भूपेदेवजी उपाध्याय ने रामायण और कृष्ण चरित्र से कहानियों के साथ युवा उम्र में उन्हें प्रसन्न किया। ठाकुरजी इन कहानियों से उत्साहित थे और एकमात्र दिमाग की भक्ति के साथ सुनी।
यदि हमारे अंदर पुराने का आग्रह है तो जीवन में सब पुराना हो जाएगा। जीवन मंे यदि हम पुराने का आग्रह छोड़ दें तो इस नये वर्ष 2017 का प्रत्येक दिन नया दिन तथा प्रत्येक क्षण नया क्षण होगा। कोई व्यक्ति जो निरंतर नए में जीने लगे, तो उसकी खुशी का हम कोई अंदाजा नहीं लगा सकते। हमारे अंदर यह जज्बा होना चाहिए कि इस क्षण में नया क्या है? यदि यह जज्बा हो तो ऐसा कोई भी क्षण नहीं है, जिसमें कुछ नया न आ रहा हो। हम नए को खोजें, थोड़ा देखें कि यह ऊर्जावान तथा जीवनदायी सूरज कभी उगा था? हम चकित खड़े रह जाएंगे कि हम अब तक इस भ्रम में ही जी रहे थे कि रोज वही ऊर्जावान तथा जीवनदायी सूरज उगता है। हम अपने जीवन में निरन्तर यह खोज जारी रखे कि नया क्या है? हमारा फोकस पुराने पर है या नये पर है यह इस बात पर सब कुछ निर्भर करता है। हम हर चीज में नया खोजने का स्वभाव विकसित करे। हमारा पूरा फोक्स नई वस्तुओं से जीवन को नया करने पर नहीं वरन् स्वयं के दृष्टिकोण को नया करने पर होना चाहिए। प्रत्येक क्षण को नया बनाने के इस विचार को हकीकत में बदलने की क्षमता ही नेतृत्व की असली विशेषता है।
(1) प्रकृति से खिलवाड़ के भयंकर परिणाम होगे!
धरती का अस्तित्व रखने वाले सभी जीवों का प्रकृति से सीधा संबंध है। प्रकृति में हो रही उथल-पुथल का प्रभाव सब पर पड़ता है। मनुष्य की छेड़छाड़ की वजह से प्रकृति रौद्ररूप धारण कर लेती है। मानव को समझ लेना चाहिए कि वह प्रकृति से जितना खिलवाड़ करेगा, उतना ही उसे नुकसान होगा। मानव ने पर्यावरण को प्रदूषित किया है, वनों को काटा है, जल संसाधनों का दुरूपयोग किया है। सुनामी हो या अमेरिका के कुछ शहरों को तबाह करने वाला तूफान, सब का कारण प्रकृति से छेड़छाड़ ही है। ओजोन परत में छेद व वातावरण में बढ़ते कार्बन डाई आॅक्साइड की वजह से ग्लोबल वार्मिग का खतरनाक संकेत है। मानव प्रकृति से छेड़छाड़ कर अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना बंद करे। आज इंसान ने इस जमीं पर मौत का आशियाॅ बनाया। यू तो कदम चाँद पर, जा पहुँचे है लेकिन जमीं पर चलना न आया। धरती को प्रदुषण के महाविनाश से बचाना आज के युग का सबसे बड़ा पुण्य है।
एक समय की बात है| एक साधु महात्मा थे| उनकी सारे नगर में प्रतिष्ठा थी| एक गृहस्थ का सारा परिवार उस महात्मा का भक्त था|
उनका जन्म 1961 में एक उच्च सभ्य, सम्माननीय, ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह न केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में कुशल है बल्कि पीएच.डी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय इतिहास में वह अखिल भारती युवा फाउंडेशन वृंदावन, भारत के संस्थापक हैं, जो भी यू.एस.ए. में पंजीकृत हैं।
शाश्वत सिद्धांतों की तार्किक रूप से व्याख्या की उनकी क्षमता और सिद्धांत के साथ सिद्धांत के साथ धर्म के लागू होने के पहलू पर ध्यान केंद्रित करने से कहें कि वह एक बुद्धि है वह न केवल समझाता है बल्कि दैनिक जीवन में इन समय-परीक्षण वाले सिद्धांतों को एक अमीर और सभ्य जीवन जीने के तरीकों का सुझाव भी देता है।