अशोक शास्त्री जी
उनके सम्मानित दादाजी श्री नंदकिशोरजी संस्कृत साहित्य और ज्योतिष के एक महान विद्वान थे।
उनके सम्मानित दादाजी श्री नंदकिशोरजी संस्कृत साहित्य और ज्योतिष के एक महान विद्वान थे।
प्रसिद्ध स्पेस वैज्ञानिक एम. अन्नादुरई के अनुसार मेरा जन्म तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले के एक छोटे-से गांव में 1958 में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा मैंने अपने गांव के स्कूल में ही पाई। बचपन में सातवीं क्लास तक मेरे घर में बिजली नहीं थी। हम पांच भाई-बहन थे और मेरे पिता महीने में मात्र 120 रूपये कमाते थे, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत तथा ईमानदारी पर ही उम्मीद की। बचपन से पिता ही मेरे सबसे प्रभावी गुरू रहे हैं। वह स्कूल में मेरे शिक्षक तो थे ही, घर में भी यही सिखाते थे कि रोज अपने जीवन में थोड़ा सुधार करो, कुछ नया जोड़ो। चंद्रयान के बाद उन्होंने मुझे पूछा था कि आगे क्या योजना है, फिर मंगलयान के बाद भी उन्होंने यही सवाल किया। किसी भी नवाचार की शुरूआत एक सामान्य विचार से होती है, पर उसे सावधानी से विकसित करने की जरूरत होती है। अपने अनुभव से मैं कह सकता हूं कि आत्मविश्वास और नवोन्मेषी दृष्टि सफलता के लिए बहुत जरूरी है। हमें एम. अन्नादुरई जैसे महान स्पेस वैज्ञानिक से जीवन के हर पल में कुछ नया जोड़ने की कला सीखनी चाहिए।
यह एक शैक्षिक जगत की अच्छी खब़र है कि अब काॅलेज बीटेक छात्रों को मुफ्त में पीजी और पीएचडी कराएंगे और नौकरी की गारंटी देंगे। पढ़ने के दौरान छात्रवृत्ति भी दी जाएगी। योजना इसी साल से शुरू हो जाएगी। इंजीनियरिंग संस्थानों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने नई योजना तैयार की है। वहीं दूसरी ओर अगले महीने से चुनिंदा शहरों के लोग पासपोर्ट बनवाने के लिए डाकघरों में आवेदन कर सकेंगे। यह विदेश मंत्रालय की महत्वकांक्षी योजना के अन्तर्गत किया जा रहा है। आज की युवा पीढ़ी सारी दुनिया में घूम-घूमकर अपनी प्रतिभा का सर्वोच्च प्रदर्शन करना चाहती हैं। युवा पीढ़ी को देशों की सीमाओं से आजाद करना चाहिए।
“Yudhishthira said, ‘I think, O grandsire, that thou art acquainted witheverything, O thou that art conversant with duties. I desire to hear theediscourse to me, O sinless one, of the ordinances about conduct.’
क्या इस सृष्टि के रचनाकार परमपिता परमात्मा का अस्तित्व है?
आज मानव जाति अनेक समस्याओं, कुरीतियों तथा मूढ़ मान्यताओं से पीड़ित तथा घिरा हुआ है। मनुष्य परमात्मा के दर्शन भौतिक आंखों से करना चाहता है। आज धर्म का स्थान बाहरी कर्म-काण्डों ने ले लिया है। हम सभी जानते हैं कि अध्यात्म भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है। अध्यात्म अनुभव का क्षेत्र है और इसकी प्रक्रियाओं व वैज्ञानिक प्रयोगों को प्रत्यक्ष दिखाया नहीं जा सकता, जैसे- हम वायु को देख नहीं सकते, केवल अनुभव कर सकते हैं, ठीक उसी तरह अध्यात्म के वैज्ञानिक प्रयोग स्थूलजगत में देखे नहीं जा सकते, केवल उनके परिणामों को देखा जा सकता है।