ठाकुरजी 12 सितंबर 1978 को एक पवित्र परिवार में पैदा हुए थे, उत्तर प्रदेश राज्य में श्री कृष्ण जनमभूमि-मथुरा के ओवावा गांव के चीर घाट में, ऋषि-भारत उनके पिता, एक ब्राह्मण श्री राजवीर शर्मा और उनकी मां, श्रीमद भागवत महापुरण के आस्तिक, चार बेटों और दो बेटियों के परिवार में 3 जन्म के रूप में अपने जन्म पर भगवान की कृपा, दया और खुशी से भरे थे।

लोग 500 और 1000 रूपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने को सरकार के स्मार्ट अभियान की तरह देख रहे हैं लेकिन लोग ब्लैक मनी को सफेद करने के लिए ओवर स्मार्ट तरीके खोजने की कोशिश भी कर रहे हैं। कहीं यह कोशिश ऐसे लोगों पर भारी न पड़ जाए। नोटबंदी की घोषणा के बाद अचानक चुनाव सुधार का एजेंडा हावी हो गया है। चुनाव सुधार के हिमायती मोदी सरकार से तुरंत चुनाव में काले धन के उपयोग को रोकने की मांग कर रहे हैं। 16 नवंबर को संसद सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी वर्तमान सत्र में चुनाव में स्टेट फंडिग पर बहस करने की बात कही। मौका देखते हुए चुनाव आयोग ने सुधार के प्रस्ताव फिर सरकार को दिए हैं। अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या श्री नरेंद्र मोदी इस मोर्चे पर भी सख्त फैसला लेंगे? स्टेट फंडिग का प्रस्ताव के मायने हैं – राजनीतिक दलों को काॅरपोरेट डोनेशन बंद करे, नेशनल इलेक्शन फंड के तहत सभी राजनीतिक दलों को स्टेट फंडिग करें, साथ ही सरकार चुनाव में लड़ने के लिए कुछ जरूरी सामानों को सब्सिडी के रूप में दे, जिससे बेनामी रास्तों से होने वाले खर्च पर अंकुश लगे। आई.टी.आई. के तहत राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में जानने का लोकतंत्र के अभिभावक जनता को पूरा हक है। देश के लिए अपना-अपना करो सुधार तभी मिटेगा भ्रष्टाचार

(1) आज हमारे नन्हें-मुन्नों को संस्कार कौन दे रहा है?

वर्तमान समय मंे परिवार शब्द का अर्थ केवल हम दो हमारे दो तक ही सीमित हुआ जान पड़ता हैं। परिवार में दादी-दादी, ताऊ-ताई, चाचा-चाची, आदि जैसे शब्दों को उपयोग अब केवल पुराने समय की कहानियों को सुनाने के लिए ही किया जाता है। अब दादी और नानी के द्वारा कहानियाँ सुनाने की घटना पुराने समय की बात जान पड़ती है। अब बच्चे टी0वी, डी0वी0डी0, कम्प्यूटर, इण्टरनेट आदि के साथ बड़े हो रहे हैं। परिवार में बच्चों को जो संस्कार पहले उनके दादा-दादी,  माँ-बाप तथा परिवार के अन्य बड़ेे सदस्यों के माध्यम से उन्हें मिल रहे थे, वे संस्कार अब उन्हें टी0वी0 और सिनेमा के माध्यम से मिल रहे हैं।

संत श्री श्री शुब्रम बहल जी को दुनिया भर में श्रद्धालुओं के जिलों द्वारा ‘गुरु जी’ के रूप में व्यक्त किया जाता है, उनके अनुयायियों की असीम सूची में ‘श्री साईं सच्चरित्र कथा’ का एक विवेकपूर्ण अधिवक्ता है।

प्रतिष्ठित संतों की वंशावली में जन्मा जाने वाले दिव्य साधुओं ने आध्यात्मिक जागृति और राधारि और बिहारीजी के लिए लाखों लोगों के दिल में अपने भगवत महायान के माध्यम से माध्यम के रूप में फैलाने में डूबे हुए हैं, जिन्होंने सभी लोगों के जीवन में शांति और प्रगति की है उनके पैरों में आश्रय वरिष्ठ आचार्य, पूज्य परम गुरु श्रद्धा श्री मृदुल कृष्ण महाराज, वृंदावन की विदेशी भूमि से हमारे समय के भगवद् प्रहसन के ग्रैंडमास्टर हैं।

भारत में भ्रष्टाचार उन्मूलन और पारदर्शिता के भले ही कड़े कदम उठाए गए हों, लेकिन रिश्वतखोरी कम नहीं हुई है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में रिश्वत के मामले में भारत शीर्ष पर है। रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में दो तिहाई अर्थात 67 प्रतिशत से ज्यादा भारतीयों को सरकारी सेवाओं के बदले किसी न किसी रूप में रिश्वत देनी पड़ती है। चीन में 73 प्रतिशत लोगों ने कहा कि तीन वर्षों में उनके देश में रिश्वत का चलन बढ़ा है। रिश्वत देने की दर जापान में सबसे कम 0.2 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में केवल तीन प्रतिशत पाई गई। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अध्यक्ष श्री जोस उगाज के कहना है कि सरकारों को भ्रष्टाचार रोधी कानूनों को हकीकत में बदलने के प्रयास करने चाहिए। करोड़ों लोग रिश्वत देने के लिए बाध्य हैं और इसका सबसे बुरा असर गरीबों पर पड़ता है। किसी महापुरूष ने कहा है कि अपना अपना करो सुधार तभी मिटेगा भ्रष्टाचार।