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योग और आयुर्वेद में भी अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया। वह सभी परियोजनाओं में एक सहयोगी है स्वामी रामदेवजी द्वारा शुरू की गई वेंचर्स, गंगोत्री गुफाओं में उनकी मौके की बैठक के बाद से कलाख्य योग, आयुर्वेद, संस्कृत भाषा, पानी के आधाय्या, वेद, उपनिबंध और भारतीय दर्शन का अध्ययन कालवा (जिंद, हरियाणा के निकट) में गुरूकुल में श्रीकृष्ण श्री बलदेवजी के मार्गदर्शन में किया गया था और उनके स्नातकोत्तर (Āकैरा) की डिग्री, पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी।

विश्वभर में 14 फ़रवरी को वेलेटाइन डे अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है| पश्चिमी देशों में इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है| जहाँ पर इसे प्यार के इजहार का दिन भी माना जाता है| इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बहुत बेसब्री से इंतजार होता है| प्रेमी और प्रेमिकाओं के लिए इस दिन की बहुत एहमियत है| और इस दिन को अत्यन्त खुशी का प्रतीक माना जाता है| इस दिन की रौनक अपने ही शबाब पर होती है| प्यार का इजहार करने के लिए परवाने फूलों के गुलदस्ते और भी प्यार से संबंधित चीजें देकर अपने प्रिय को खुशी जाहिर करते हैं|

गुटखा खाने से रोका तो किशोर ने लगाई फांसी, स्कूल जाने को लेकर माँ-बेटी के साथ हुई कहा-सुनी से नाराज होकर 11वीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा ने पिता की पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली, प्रिसिपल की फटकार से आहत छात्र ने खुद को गोली से उड़ाया यह कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो हाल ही में मीडिया की सुर्खियां बनी। सुसाइड के बढ़ते इस ट्रेंड ने समाज के माथे पर चिंता की लकीरें उकेर दी हैं। सवाल उठ खड़ा हुआ है कि पहले जिस उम्र में बच्चे खेलकूद और दोस्तों में मशगूल रहते थे वही अब ऐसे हालात क्यों बन गए कि बच्चों को नन्ही उम्र में मौत को गले लगाना पड़ रहा है। आए दिन हो रही इन अकाल मौतों का जिम्मेदार कौन है?

महाशिवरात्रि के परम –पवन पर्व पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं| यह दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और यह माना जाता है कि इसी दिन शिवजी ने कालकूट नाम का विष पिया था  जो की समुन्द्रमंथन के दौरान अमृत से पहले समुन्दर से निकला गया था| जबकि कुछ विद्वानों का यह भी मत है की आज के ही दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह सूत्र मे बंधे थे|

स्वामी सुभोधनंद प्रसन्ना ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष हैं। वह न केवल देश के सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेताओं में से एक है, बल्कि ‘कॉर्पोरेट गुरु’ नामक उपनाम भी है उनकी विशेषज्ञता पश्चिम की पूर्व और आधुनिक दृष्टि के प्राचीन ज्ञान को संश्लेषण में निहित है, जो कि समाज के व्यापक व्याकरण से युवा और पुराने दोनों को अपील करता है।

बालक परमपिता परमात्मा की सर्वोच्च कृति हैः-

प्रत्येक बालक अवतार की तरह पवित्र, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित हृदय लेकर इस धरती पर अवतरित होता है। परमात्मा की मानव प्राणी पर यह विशेष कृपा है कि वह अपने प्रत्येक मानव पुत्र को पवित्र, दयालु तथा ईश्वरीय प्रकाश का अनमोल उपहार देकर उत्पन्न करता है। इस ईश्वरीय गुण को विकसित करके किसी भी बालक को ईश्वर भक्त बनाने में सबसे ज्यादा योगदान उसके परिवार और उसके विद्यालय का होता है। इसलिए परिवार में माता-पिता तथा विद्यालय में शिक्षक यदि अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाये तो ईश्वरीय गुणों से परिपूर्ण बालक सारे विश्व को सुन्दर और सुरक्षित बना सकता है।  

महाविद्यालय में अपने अंतिम वर्ष में, उनके भाई ने उनसे परम पूज दादा भगवान के बारे में बताया, जो स्वयं को प्राप्त करने की क्षमता रखता था, और उन्हें बताया कि यह ज्ञान इतना शक्तिशाली है कि कोई सांसारिक परेशानी या चिंताओं से उसे छू नहीं सकता। इस प्रक्रिया में केवल दो घंटे लगेंगे, आत्मा के एक अनूठे विज्ञान के माध्यम से (आत्मा) जिसे अकरम विज्ञान कहा जाता है यह पहली बार था कि पूज्यरुरुम ने ‘आत्मा’ शब्द को कभी सुना। 

नोटबंदी के बंद आयकर कानून में संशोधन का विधेयक आ गया। इस विधेयक ने कई और सवालों को जन्म दे दिया है। इस सबके बीच देश की सभी ईमानदार लोगों का यह अहसास और गहरा हुआ है कि यदि लोकतंत्र की अर्थव्यवस्था को सही तरह से आगे बढ़ना है तो उसे असमान वितरण और काली पूंजी, इन दो कमियों से जल्द से जल्द मुक्ति पानी होगी। नोटबंदी सरीखे सीमित कदमों से काला धन नहीं मिटाया जा सकता। बेनामी चुनावी चंदे को अवैध बना कर सभी दलों को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने तथा दलगत कोष को पारदर्शी और दल नेता को जवाबदेह बनाने की जरूरत है। चुनौती हमेशा सुअवसर लेकर भी आती है। ऐसे सुअवसर का भरपूर लाभ उठाना ही समझदारी है। नोटबंदी केवल सरकार के लिए ही नहीं वरन् विपक्ष के लिए भी राष्ट्र की सेवा का सुअवसर है। विपक्ष को भारत की संस्कृति, सभ्यता तथा सबसे बड़े लिखित संविधान की गरिमा तथा गौरव के अनुकूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर दुनिया के सामने मिसाल प्रस्तुत करनी है। भारत को जगत गुरू की भूमिका पुनः दिलाने का यह सुनेहरा मौका विपक्ष के हाथ है। विपक्ष चाहे तो वह राजनीति अर्थात राज्य के कल्याण के भविष्य के गर्भ में पल रहे शुभ संकेत को पहचानकर संर्कीण तथा दलगत राजनीति से ऊपर अपने को स्थापित कर सकता है। आज भारत की ओर सारी दुनिया बड़ी आशा से देख रही है।

गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर लखनऊ में 26 जनवरी, 2017 को सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ द्वारा निकाली जाने वाली ‘एक कर दे हृदय अपने सेवकों के हे प्रभु’ झांकी का आलेख संविधान का अनुच्छेद 51 क्या है ?