अध्याय 56
1 बृहदश्व उवाच
एवं स समयं कृत्वा दवापरेण कलिः सह
आजगाम ततस तत्र यत्र राजा स नैषधः
किसी जलाशय में कम्बुग्रीव नाम का एक कछुआ रहता था| उस सरोवर के तट पर निवास करने वाले संकट और विकट नाम के दो हंसों का उसके प्रति बड़ा स्नेह था|
“Yudhishthira said, ‘After the Rishi had disappeared, what did the kingdo and what also did highly-blessed spouse do? Tell me this, O grandsire!’
“Bhishma said, ‘The king, having entered that large forest, came upon anasylum of ascetics.
एक बार की बात है, राजा बलि समय बिताने के लिए एकान्त स्थान पर गधे के रूप में छिपे हुए थे। देवराज इन्द्र उनसे मिलने के लिए उन्हें ढूँढ रहे थे। एक दिन इन्द्र ने उन्हें खोज निकाला और उनके छिपने का कारण जानकर उन्हें काल का महत्व बताया। साथ ही उन्हें तत्वज्ञान का बोध कराया।
भोजन न पचने (अग्निमांद्य) की वजह से द्रव्य धातु से मिलकर पाखाना (मल) वायु सहित गुदा से बाहर निकलता है, इसे अतिसार या दस्त कहते हैं| यह छ: प्रकार का होता है – वातिक, पैत्तिक, श्लेष्मज, त्रिदोषज, शोकज तथा आमज|
1 शरीभगवान उवाच
अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करॊति यः
स संन्यासी च यॊगी च न निरग्निर न चाक्रियः
“Dhritarashtra said, ‘How, indeed, did that battle take place when atdead of night Vikartana’s son, Karna, and the Rakshasa Ghatotkachaencountered each other?