अध्याय 27
1 अर्जुन उवाच
संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर यॊगं च शंससि
यच छरेय एतयॊर एकं तन मे बरूहि सुनिश्चितम
1 अर्जुन उवाच
संन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर यॊगं च शंससि
यच छरेय एतयॊर एकं तन मे बरूहि सुनिश्चितम
“Sanjaya said, ‘Beholding the mighty-armed Ghatotkacha, O king,proceeding towards the car of Suta’s son, Karna for slaughtering him inbattle, thy son Duryodhana addressing Duhsasana, said these words,
सलाद के रूप में सम्पूर्ण विश्व में खीरा का विशेष महत्त्व है। खीरा को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है। शरीर की भीतरी शुद्धि हो या बाहरी ठंडक, खीरा हर तरह से लाजवाब होता है। सलाद के रूप में सम्पूर्ण विश्व में खीरा का विशेष महत्त्व है। खीरा को सलाद के अतिरिक्त उपवास के समय फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाता है।
1 [स]
ततः कर्णः कुरुषु परद्रुतेषु; वरूथिना शवेतहयेन राजन
पाञ्चाल पुत्रान वयधमत सूतपुत्रॊ; महेषुभिर वात इवाभ्रसंघान
“Vaisampayana said, ‘Living in such disguise, those mighty warriors, thesons of Pritha, passed ten months in Matsya’s city.
“Yudhishthira said,–“Intelligent as thou art, thou hast said what noneelse is capable of saying. There is none else on earth who is settler ofall doubts. Behold, there are kings in every province employed inbenefiting their respective selves. But no one amongst them hath beenable to achieve the imperial dignity.
एक राजा बहुत धार्मिक प्रवृत्ति का था| धर्म के प्रचार के लिए उसने एक नियम बना रखा था| उसके महल के सामने उपवन में हर रोज शाम को धर्मसभाओं का आयोजन होता था|
एक वैद्य था| वह अपने साथ एक आदमी को रखता था| एक दिन वे एक गाँव से रवाना हुए तो किसी बात को लेकर वैद्य ने उस आदमी की ताड़ना की-‘अरे, तू जानता नहीं, पहले तू कैसा था? तू तो गधा था|
जगजननी जय! जय! माँ! जगजननी जय! जय!
भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। जगजननी ..
Sanjaya said, “Then when the blare of conchs and the peal of drums becamevery loud, those two foremost of men, both owning white steeds, thesuta’s son Vikartana and Arjuna, encountered each other in consequence, Oking, of thy son’s evil policy.