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“Yudhishthira said, ‘All persons on earth, O foremost of men, applaudvirtuous behaviour. I have, however, great doubts with respect to thisobject of their praise. If the topic be capable of being understood byus, O foremost of virtuous men, I desire to hear everything about the wayin which virtuous behaviour can be acquired. How indeed, is thatbehaviour acquired, O Bharata! I desire to hear it. Tell me also, Oforemost of speakers, what has been said to be the characteristics ofthat behaviour.’

आमाशय और अंतड़ियों में बहुत से विकार पाए जाते हैं| उनमें से कृमि रोग भी बच्चे को परेशान करता है| ये कृमि लगभग 20 प्रकार के होते हैं जो अंतड़ियों में घाव पैदा कर देते हैं| अत: रोगी बेचैन हो जाता है| ये पेट में वायु को बढ़ा देते हैं जिसके कारण हृदय की धड़कन बढ़ जाती है| कृमि रोग में रोगी को उबकाई आती रहती है| कई बार भोजन के प्रति अरुचि भी उत्पन्न हो जाती है| चक्कर आने लगते हैं तथा प्यास अधिक लगती है|