Chapter 165
“Sanjaya said, ‘The ruler of the Madras shrouded on all sides, withclouds of shafts, Virata with his troops, who was proceeding quickly forgetting at Drona.
“Sanjaya said, ‘The ruler of the Madras shrouded on all sides, withclouds of shafts, Virata with his troops, who was proceeding quickly forgetting at Drona.
Vaisampayana said, “Then tying up in his cloth dice made of gold and setwith lapis lazuli, and holding them below his arm-pit, kingYudhishthira,–that illustrious lord of men–that high-souled perpetuatorof the
1 [स]
अथाब्रवीद वासुदेवॊ रथस्थॊ; राधेय दिष्ट्या समरसीह धर्मम
परायेण नीचा वयसनेषु मग्ना; निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तत तत
‘Narada said–O Yudhishthira, the celestial Sabha of Varuna isunparalleled in splendour. In dimensions it is similar to that of Yama.Its walls and arches are all of pure white. It hath been built byViswakarma (the celestial architect) within the waters.
एक मछुआरा एकदम तड़के नदी की ओर जाल लेकर जा रहा था| नदी के पास पहुँचने पर उसे आभास हुआ कि सूर्य अभी पूरी तरह नहीं निकला है और चारों और कुछ ज्यादा ही अंधकार फैला हुआ है|
द्रोणाचार्य ने पाण्डव तथा कौरव राजकुमारों के शस्त्रास्त्र विद्या की परीक्षा लेने का विचार किया। इसके लिये एक विशाल मण्डप बनाया गया। वहाँ पर राज परिवार के लोग तथा अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित हुये। सबसे पहले भीम एवं दुर्योधन में गदा युद्ध हुआ। दोनों ही पराक्रमी थे। एक लम्बे अन्तराल तक दोनों के मध्य गदा युद्ध होता रहा किन्तु हार-जीत का फैसला न हो पाया। अन्त में गुरु द्रोण का संकेत पाकर अश्वत्थामा ने दोनों को अलग कर दिया।
“Sanjaya said, ‘After Karna had thus been slain and the Kaurava troopshad fled away, he of Dasharha’s race, embracing Partha from joy, saidunto him these words: “Vritra was slain by thee.
1 [ज]
यद इदं शॊचितं राज्ञा धृतराष्ट्रेण वै मुने
परव्राज्य पाण्डवान वीरान सर्वम एतन निरर्थकम
किसी नगर में धर्मबुद्धि और पापबुद्धि नाम के दो मित्र रहते थे| एक बार पापबुद्धि ने विचार किया कि वह तो मुर्ख भी है ओर दरिद्र भी| क्यों न किसी दिन धर्मबुद्धि को साथ लेकर विदेश जाया जाए| इसके प्रभाव से धान कमाकर फिर किसी दिन इसको भी ठगकर सारा धन हड़प कर लिया जाए|
“Yudhishthira said, ‘Unto which of two Brahmanas, when both happen to beequally pure in behaviour, equally possessed of learning and purity, ofbirth and blood, but differing from each other in only this, viz.,