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हिन्दू मान्यता के अनुसार पारवती जी ही देवी भगवती हैं| पार्वती जी को बहुत दयालु, कृपालु और करूणा मई मन जाता है| इनकी आराधना करने पर भक्तो के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं| तथा घर मई सुख शांति का वास होता है| देवी पारवती जी जैसा की सर्व विदित ही है, की शंकर भगवान् जी की अर्धांगिनी है| इनकी आरती उतार कर इन्हे प्रसन्न किया जा सकता है|

एक बार एक गुरु अपने आश्रम में शिष्यों को समझा रहे थे| तभी कहीं से घूमता हुआ एक चोर उधर से आ निकला| उसने सोचा- ‘चलो देखें गुरुजी अपने शिष्यों को क्या ज्ञान दे रहे हैं|’

आचार्य द्रोण राजकुमारों को धनुर्विद्या की विधिवत शिक्षा प्रदान करने लगे। उन राजकुमारों में अर्जुन के अत्यन्त प्रतिभावान तथा गुरुभक्त होने के कारण वे द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे।

जैसे-जैसे होली का दिन समीप आ रहा था, कृष्ण की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। इसी बीच उनका मन कई बार चाहा कि वे स्वयं रथ हाँकें और सुरक्षाकर्मियों, को चकमा दे कर तीव्र गति से ब्रजप्रदेश पहुँच जाएँ, परंतु नटवरलाल सुरक्षाकर्मियों के समक्ष जैसे विवश हो गए थे।

किसी नगर में एक महा विद्वान ब्राह्मण रहता था| विद्वान होने पर भी वह अपने पूर्वजन्म के कर्मों के फलस्वरूप चोरी किया करता था| एक बार उसने अपने नगर में ही बाहर से आए हुए चार ब्राह्मणों को देखा|

हमारे देश में तुलसी का पौधा घर-घर में मिलता है| तुलसी का अर्थ है – तु’ से भौतिक, ‘ल’ से दैविक और ‘सी’ से आध्यात्मिक तापों का संहार करने वाली| इसका पौधा लगभग 3-4 फुट ऊंचा होता है|