अध्याय 14
1 [व]
अथ गावल्गणिर धीमान समराद एत्य संजयः
परत्यक्षदर्शी सर्वस्य भूतभव्य भविष्यवित
“Dhritarashtra said, ‘I regard Bhimasena’s prowess to be exceedinglywonderful, inasmuch as he succeeded in battling with Karna of singularactivity and energy.
“Sanjaya said, ‘During the progress of that fierce and terrible battle,when the world was enveloped with darkness and dust, O king, thecombatants, as they stood on the field, could not see one another.
नवरात्रि एक ख़ास हिन्दू पर्व है जिसे न केवल भारत वर्ष अपितु अन्य देशों मे भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है| नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें|
Bhima said, “I intend to present myself before the lord of Virata as acook bearing the name of Vallabha.
पौराणिक इतिहास से ग्यात होता है की महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभीमन्यु वीर गति को प्राप्त हुए थे | उस समय उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्णा जी ने वरदान दिया था की कलयुग में तू “नारायाणी” के नाम से श्री सती दादी के रूप में विख्यात होगी और जन जन का कल्याण करेगी, सारे दुनिया में तू पूजीत होगी | उसी वरदान के स्वरूवप श्री सती दादी जी आज से लगभग 715 वर्ष पूर्वा मंगलवार मंगसिर वदि नवमीं सन्न 1352 ईस्वीं 06.12.1295 को सती हुई थी |
“Vaisampayana said,–“Then that chief of men, king Yudhishthira, enteredthat palatial sabha having first fed ten thousand Brahmanas withpreparations of milk and rice mixed with clarified butter and honey withfruits and roots, and with pork and venison.
एक समय था जब राजा-महाराजाओं को पक्षी पालने का शौक होता था| ऐसे ही एक राजा के पास कई सुंदर पक्षी थे| उनमें से एक चकोर राजा को अति प्रिय था और वह जहाँ भी जाता उसे जरुर साथ ले जाता था|
मद्र देश के राजा अश्वपति ने पत्नि सहित सन्तान के लिये सावित्री देवी का विधि पूर्वक व्रत तथा पूजन करके पुत्री होने पर वर प्राप्त किया । सर्वगुण देवी सावित्री ने पुत्री के रूप में अश्वपति के घर कन्या के रूप मे जन्म लिया ।