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औषधि के रूप में इसका भी प्रयोग किया जाता है| खांसी व हृदय रोग में यह लाभ पहुंचाती है| स्वभाव से यह भारी है, किन्तु सेवन करने पर स्वादिष्ट लगती है| अरबी की सब्जी बनाकर खाएं| इसकी सब्जी में गर्म मसाला, दालचीनी और लौंग डालें| जिनके गैस बनती हो, गठिया और खांसी हो, उनके लिए अरबी हानिकारक है|

देवी रूक्मिणी का जन्म अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में हुआ था और श्री कृष्ण का जन्म भी कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को हुआ था व देवी राधा वह भी अष्टमी तिथि को अवतरित हुई थी. राधा जी के जन्म में और देवी रूक्मिणी के जन्म में एक अन्तर यह है कि देवी रूक्मिणी का जन्म कृष्ण पक्ष में हुआ था और राधा जी का शुक्ल पक्ष में. राधा जी को नारद जी के श्राप के कारण विरह सहना पड़ा और देवी रूक्मिणी से कृष्ण जी की शादी हुई. राधा और रूक्मिणी यूं तो दो हैं परंतु दोनों ही माता लक्ष्मी के ही अंश हैं.

एक सन्त के पास एक व्यक्ति सत्संग के लिये आया करता था| उस व्यक्ति का विवाह हो गया तो उसका सत्संग में आना कम हो गया| जब सन्तान हो गयी तो तो सत्संग में आना बहुत कम हो गया|