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मोतियाबिन्द होने पर आंखों की पुतली पर सफेदी आ जाती है और रोगी की दृष्टि धुंधली पड़ जाती है| वह किसी चीज को स्पष्ट नहीं देख सकता| आंखों के आगे धब्बे और काले बिन्दु-से दिखाई पड़ने लगते हैं| जैसे-जैसे रोग बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे रोगी ठीक से देखने में असमर्थ हो जाता है|

एक बार भगवान महावीर जंगल में तपस्या कर रहे थे। वे एकाग्रचित्त हो प्रभु के ध्यान में रमे थे। उस जंगल में चरवाहे भी गाय, भेड़, बकरियां चराने आते थे। चूंकि चरवाहे अशिक्षित व अज्ञानी थे इसलिए वे तपस्या के महत्व को नहीं जानते थे।