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एक बड़े सदाचारी और विद्वान ब्राह्मण थे| उनके घर में प्रायः रोटी-कपड़े की तंगी रहती थी| साधारण निर्वाहमात्र होता था| वहाँ के राजा बड़े धर्मात्मा थे| ब्राह्मणी ने अपने पति से कई बार कहा कि आप एक बार तो राजा से मिल आओ, पर ब्राह्मण कहते हैं कि वहाँ जाने के लिए मेरा मन नहीं कहती|

एक व्यापारी अपने ग्राहक को शहद दे रहा था| अचानक व्यापारी के हाथ से छूटकर शहद का बर्तन गिर पड़ा| बहुत-सा शहद भूमि पर ढुलक गया| जितना शहद व्यापारी उठा सकता था, उतना उसने ऊपर-ऊपर से उठा लिया; लेकिन कुछ शहद भूमि में गिरा रह गया|