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दुर्गादास था तो धनी किसान; किन्तु बहुत आलसी था| वह न अपने खेत देखने जाता था, न खलिहान| अपनी गाय-भैंसों की भी वह खोज-खबर नहीं रखता था| सब काम वह नौकरों पर छोड़ देता था|