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भीम को यह अभिमान हो गया था कि संसार में मुझसे अधिक बलवान कोई और नहीं है| सौ हाथियों का बल है उसमें, उसे कोई परास्त नहीं कर सकता… और भगवान अपने सेवक में किसी भी प्रकार का अभिमान रहने नहीं देते| इसलिए श्रीकृष्ण ने भीम के कल्याण के लिए एक लीला रच दी|

गृहस्थी में रहने वाले एक बड़े अच्छे त्यागी पंडित थे| त्याग साधुओं का ठेका नहीं है| गृहस्थमें, साधुमें, सभी में त्याग हो सकता है| त्याग साधु वेष में ही हो; ऐसी बात नहीं है| पण्डित जी बड़े विचारवान थे| भागवत की कथा कहा करते थे|  एक धनी आदमी ने उनसे दीक्षा ली और कहा-‘महाराज! कोई सेवा बताओ|’

भगवती गायत्री आद्यशक्ति प्रकृति के पाँच स्वरूपों में एक हैं| भगवान व्यास कहते हैं कि गायत्री मन्त्र समस्त वेदों का सार है| गायत्री चालीसा के नित्य पाठ से मनुष्य सभी रोग-दोष तथा आवागमन के बंधन से मुक्त होता है एवं धन-धान्य से परिपूर्ण होता है साथ ही उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं|