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उधर रानी दिन-रात ब्राह्मण के घर काम में जुटी रहती थी| ब्राह्मण उसके बेटे रोहिताश्व को भी काम बताता रहता था| एक दिन उसने रोहिताश्व को बगीचे से पूजा के फूल लेन को भेजा, जहां एक विषैले सर्प ने उसे डस लिया|

प्राचीनकाल की बात है | तब वहां पेड़ों में पत्ते नहीं हुआ करते थे | पशु, पक्षी, मानव सभी को बिना पत्तों के पेड़ देखने की आदत थी | तब उन सभी की आदतें व मौसम सहने की शक्ति उसी के अनुसार होती थी | तब सर्दी के मौसम में बहुत तेज हवा नहीं चल पाती थी, क्योंकि पत्तियों के अभाव में हवा की तेजी बढ़ ही नहीं पाती थी | ठीक इसी प्रकार गर्मियों में सभी लोग गर्मी से बचने के लिए कोई न कोई इंतजाम कर लेते थे, क्योंकि पत्तों के बिना पेड़ छायादार नहीं होते थे |