Chapter 201
Markandeya said, “O king, after the death of Ikshvaku, a highly virtuousking of the name of Sasada, ascending the throne of Ayodhya ruled thisearth. And from Sasada was descended Kakutstha of great energy.
Markandeya said, “O king, after the death of Ikshvaku, a highly virtuousking of the name of Sasada, ascending the throne of Ayodhya ruled thisearth. And from Sasada was descended Kakutstha of great energy.
काशी में गंगा के तट पर एक संत का आश्रम था। एक दिन उनके एक शिष्य ने पूछा, ‘गुरुवर, शिक्षा का निचोड़ क्या है?’ संत ने मुस्करा कर कहा, ‘एक दिन तुम खुद-ब-खुद जान जाओगे।’ बात आई और गई। कुछ समय बाद एक रात संत ने उस शिष्य से कहा, ‘वत्स, इस पुस्तक को मेरे कमरे में तख्त पर रख दो।’ शिष्य पुस्तक लेकर कमरे में गया लेकिन तत्काल लौट आया। वह डर से कांप रहा था। संत ने पूछा, ‘क्या हुआ? इतना डरे हुए क्यों हो?’ शिष्य ने कहा, ‘गुरुवर, कमरे में सांप है।’
हम मतवाले हैं चले साँई के देस – 2
जहाँ सभी को चैन मिलेगा कभी न लागे ठेस
हम मतवाले हैं चले साँई के देस
1 [स]
वयूहेष्व आलॊड्यमानेषु पाण्डवानां ततस ततः
सुदूरम अन्वयुः पार्थाः पाञ्चालाः सह सॊमकैः
बादल देख डरी हो स्याम मैं बादल देख डरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।