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एक गांव में रमीना अपने पति व चार बेटों के साथ रहती थी | वह अपने व अपने परिवार के साथ खूब खुशहाल थी | वह मध्यम आय वाला परिवार था | अत: रमीना परिवार की कमाई का अधिकांश भाग बच्चों की शिक्षा पर खर्च करती थी | पिता भी बच्चों को खूब प्यार करता था |

अगले दिन जैसे ही राजा हरिश्चंद्र राज्य दरबार में अपने सिंहासन पर बैठे, विश्वामित्र ने प्रवेश किया| राजा ने स्वयं महर्षिकी अगवानी की|सभासदों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया| विश्वामित्र ने कहा, “राजन! मुझे पहचाना?

बात तब की है, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। बंगाल के न्यायाधीश नीलमाधव बैनर्जी अपनी न्यायप्रियता, सत्यनिष्ठा व दयालुता के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। अपने जीवन काल में उन्होंने अपने इन्हीं गुणों के कारण बेहद सम्मान व प्रसिद्धि पाई। वृद्धावस्था में उन्हें प्राण घातक रोग ने जकड़ लिया तथा उनका शरीर बेहद कमजोर हो गया।