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प्राचीन काल में उज्जयिनी नामक नगरी में मूलदेव नाम का एक ब्राह्मण रहता था| वह बहुत विद्वान एवं चतुर था| उसने शास्त्रार्थ में कई पंडितों एवं विद्वानों को परास्त कर रखा था| इसी कारण वह वेदों एवं शास्त्रों का प्रकांड पंडित माना जाने लगा था|

बद्रीनाथ मंदिर भगवान् विष्णु जी के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है| हिन्दुओ के चार धाम मे से बद्रीनाथ को एक धाम मन गया है| इस मंदिर मे नर नारायण विग्रह की पूजा होती है | जो की अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक है| हर हिन्दू की यह कामना होती है की वो एक बार बद्रीनाथ की यात्रा जरुर करे| यहाँ पर शीत के कारन स्नान करना अति कठिन होता है|

प्रवचन करते हुए महात्मा जी कह रहे थे कि आज का प्राणी मोह-माया के जाल में इस प्रकार जकड़ गया है कि उसे आध्यात्मिक चिंतन के लिए अवकाश नहीं मिलता।