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यह मुख्यत: मसालों में प्रयुक्त होती है| अत्यंत गर्म है तथा वायु और कफ को नष्ट करके उनसे उत्पन्न होने वाले अनेक रोगों में भी उपयोगी है| यह मुंह व गले को भी शुद्ध कर देती है| इससे मूत्राशय का शोधन भी हो जाता है|

“Janamejaya said, ‘O worshipful one, I wish to hear from thee in detailabout the birth, among men, of the gods, the Danavas, the Gandharvas, theRakshasas, the lions, the tigers, and the other animals, the snakes, thebirds, and in fact, of all creatures. I wish also to hear about the actsand achievements of those, in due order, after they became incarnate inhuman forms.’

एक राजकुमार को वृद्धों से घृणा थी। वह कहा करता था, ‘बूढ़ों की बुद्धि कुंठित हो जाती है। वे सदा बेतुकी बातें किया करते हैं। वे किसी काम के नहीं होते।’ उसके दरबारी भी उसकी हां में हां मिलाते रहते थे। एक बार राजकुमार अपने कुछ सैनिकों के साथ शिकार खेलने गया। युवराज का स्पष्ट निर्देश था कि किसी बुजुर्ग व्यक्ति को साथ न ले जाया जाए।

नुस्खा – ब्राह्मी, आंवला, हर्र, बहेड़ा और मुण्डी – सबको बराबर की मात्रा में कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| फिर इसमें थोड़ी-सी कच्ची खांड़ मिला दें|

नीबू छोटा और बड़ा दो प्रकार का होता है| इसका स्वाद खट्टा होता है| लेकिन इसमें इतने अधिक औषधीय गुण हैं कि लोग सभी ऋतुओं में इसका प्रयोग करते हैं| यह प्यास तथा गरमी को शान्त करता है|

एक शेर बहुत बूढ़ा, दुबला और कमजोर हो गया था| अब वह शिकार करने में असमर्थ था| उसने एक योजना बनायी| उसने चारों तरफ खबर फैला दी कि वह बहुत बीमार है और मरने के निकट है| वह आनेवालों की प्रतीक्षा करने लगा|