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मूत्र विकार के अंतर्गत कई रोग आते हैं जिनमें मूत्र की जलन, मूत्र रुक जाना, मूत्र रुक-रुककर आना, मूत्रकृच्छ और बहुमूत्र प्रमुख हैं| यह सभी रोग बड़े कष्टदायी होते हैं| यदि इनका यथाशीघ्र उपचार न किया जाए तो घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं|

जब महाराज विराटने यह सुना कि उनके पुत्र उत्तरने समस्त कौरव-पक्षके योद्धाओंको पराजित करके अपनी गायोंको लौटा लिया है, तब वे आनन्दातिरेकमें अपने पुत्रकी प्रशंसा करने लगे|

एक बार की बात है| एक माली ने एक बगीचे में गुलाब के फूल लगाए| फूल देखकर वहाँ एक बुलबुल आने लगी, वो उन्हें नोच लेती थी, माली ने बार-बार उसे भगाया, परंतु वह बार-बार आकर फूल नोच जाती थी|