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अपनी दूसरी यात्रा के बाद मैं खूब आराम की जिंदगी बसर करने लगा था| नौकर-चाकर और दूसरे सभी सुख आराम मुझे हासिल थे| मैं अपने परिवार के साथ इतना सुखी था कि अब तो समुद्री यात्राओं के दौरान उठाए गए जानलेवा कष्टों की याद भी मुझे नही आती थी|

एक गाँव में एक फकीर आए। वे किसी की भी समस्या दूर कर सकते हैं। सभी लोग जल्दी से जल्दी अपनी समस्या फकीर को बताकर उपाय जानना चाहते थे। नतीजा यह हुआ कि हर कोई बोलने लगा और किसी को कुछ समझ में नहीं आया। अचानक फकीर चिल्लाए. ‘खामोश’। सब चुप हो गए। फकीर ने कहा, “मैं सबकी समस्या दूर कर दूंगा। एक साथ बोलने के बजाय सब लोग एक-एक कागज पर अपनी समस्या लिख लाएं और मुझे दें।

कफ-पित्त ज्वर भी धीरे-धीरे चढ़ता है और अंतत: उग्न रूप धारण कर लेता है| यह ज्वर दिन के तीसरे प्रहर तथा रात के अंतिम प्रहर में हल्का पड़ जाता है| इसमें रोगी की नाड़ी धीमी चलती है| मल मटमैले रंग का आता है|