शांति का मार्ग
एक व्यापारी था| उसने व्यापार में खूब कमाई की| बड़े-बड़े मकान बनाए, नौकर-चाकर रखे, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उसके दिन फिर गए| व्यापार में घाटा आया और वह एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गया| जब उसकी परेशानी सहन से बाहर हो गई, तब वह एक साधु के पास गया और रोते हुए बोला – “महाराज, मुझे कोई रास्ता बताइए, जिससे मुझे शांति मिले|”