अध्याय 138
1 [वायु]
शृणु मूढ गुणान कांश चिद बराह्मणानां महात्मनाम
ये तवया कीर्तिता राजंस तेभ्यॊ ऽथ बराह्मणॊ वरः
1 [वायु]
शृणु मूढ गुणान कांश चिद बराह्मणानां महात्मनाम
ये तवया कीर्तिता राजंस तेभ्यॊ ऽथ बराह्मणॊ वरः
Sanjaya said, “Thou hast, O king, in consequence of thy own fault, beenovertaken by this calamity.
बादशाह अकबर को यह मालूम था कि आम बीरबल का प्रिय फल है| एक दिन जब वह सरोवर में नहा रहे थे तो उन्होंने बीरबल पर व्यंग्य करते हुए कहा – “बीरबल, तुम्हें मालूम है कि गधे आम नहीं खाते और ऐसे फल को तुम पसंद करते हो|”
“Vaisampayana said, ‘Those foremost of men, the heroic Pandavas,–thosedelighters of their mother–became exceedingly afflicted with grief.
मिस्त्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था| वह इतना शक्तिशाली था की आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे| उसका मंत्री बड़ा कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि कई-कई कलाओं और विद्याओं में पारंगत था| मंत्री के दो सुंदर पुत्र थे, जो उसी की भाँति गुणवान थे| बड़े का नाम शमसुद्दीन मुहम्मद था और छोटे का नाम नूरुद्दीन अली|
“Sauti said, ‘Hearing the respective speeches of all the snakes, andhearing also the words of Vasuki, Elapatra began to address them, saying,’That sacrifice is not one that can be prevented.