कुसंग का दुष्परिणाम
सच है, कोई पुरुष अत्यंत धैर्यवान, दयालु, सद्गुणी, सदाचारी, नीतिज्ञ, कर्तव्यनिष्ठ और गुरु का भक्त अथवा विधा-विवेक सम्पन्न भी क्यों न हो, यदि वह निरंतर अत्यंत पापबुद्धि दुष्ट पुरुषों का संग करेगा तो अवश्य ही क्रमशः उन्हीं की बुद्धि से प्रभावित होकर उन्हीं के समान हो जाएगा| इसलिए सदा ही दुष्ट पुरुषों का संग त्याग देना चाहिए|