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चलते-चलते पांडवों एकचक्र नामक नगर पहुंचे| वहां एक गरीब ब्राह्मण के घर उन्हें शरण मिली| धीरे-धीरे दिन गुजर रहे थे| एक दिन कुंती ने ब्राह्मण और ब्राह्मणी को विलाप करते देखा और पूछा, “आप इतने दुखी क्यों हैं?” ब्राह्मणी ने उत्तर दिया, “इस नगरी के पास बका नामक एक राक्षस रहता है|

एक बार ऋषियों ने सूत जी से पूछा- ‘भगवान्! आप ऐसा उपाय बताएँ, जिससे सभी पापों से छुटकारा मिल जाए, अलक्ष्मी (दरिद्रा) छोड़ कर चली जाए और निरंतर लक्ष्मी का निवास हो|’ सूत जी ने कहा- ‘ऋषियों! इसके लिए मनुष्य को निरंतर विहित कर्म करते हुए भगवान् के नाम का जप करना चाहिए|

किसी नगर में एक आदमी रहता था| वह पढ़ा-लिखा और चतुर था| एक बार उसमें धन कमाने की लालसा पैदा हुई| उसके लिए उसने प्रयत्न आरंभ किया| देखते-देखते उसके पास लाखों की संपदा हो गई, पर उसके पास ज्यों-ज्यों पैसा आता गया, उसका लोभ बढ़ता गया| साथ ही धन का ढेर भी ऊंचा होता गया|