इंद्रप्रस्थ
राजा धृतराष्ट्र ने विवश होकर निश्चय किया की वे भीष्म की सलाह मानेंगे| उन्होंने विदुर को भेजकर पांडवों को हस्तिनापुर में रहने के लिए आमंत्रित किया| पांडव, माता कुंती और कृष्ण के साथ हस्तिनापुर आ गए|
राजा धृतराष्ट्र ने विवश होकर निश्चय किया की वे भीष्म की सलाह मानेंगे| उन्होंने विदुर को भेजकर पांडवों को हस्तिनापुर में रहने के लिए आमंत्रित किया| पांडव, माता कुंती और कृष्ण के साथ हस्तिनापुर आ गए|
हमारे यहाँ शास्त्रोंमें अहल्या, मन्दोदरी, तारा, कुन्ती और द्रौपदी – ये पाँचों देवियाँ नित्य कन्याएँ कही गयी हैं| इनका नित्य स्मरण करनेसे मनुष्य पापमुक्त हो जाता है| महारानी कुन्ती वसुदेवजीकी बहन और भगवान् श्रीकृष्णकी बुआ थीं|
प्राचीन काल में अश्वशिरा नामक एक परम धार्मिक राजा थे| उन्होंने अश्वमेघ यज्ञ के द्वारा भगवान् नारायण का यजन किया था, जिसमें बहुत बड़ी दक्षिण बाँटी गई| यज्ञ की समाप्ति पर राजा ने अवभृथ-स्नान किया| इसके पश्चात् वे ब्रह्मणों से घिरे हुए बैठे थे, उसी समय भगवान् कपिल देव वहाँ पधारे|
Vaishampayana said, “Hearing these words, O monarch, Ambika’s sonDhritarashtra, with heart agitated by grief, addressed his driverSanjaya, saying, ‘Though the evil policy, O sire, of my son of littleforesight, Vikartana’s son hath been slain!
1 [बर]
संन्यासं तप इत्य आहुर वृद्धा निश्चित दर्शिनः
बराह्मणा बरह्मयॊनिस्था जञानं बरह्म परं विदुः
प्रदर रोग में योनि मार्ग से पतला या गाढ़ा चिकना स्त्राव कम अथवा अधिक मात्रा में निकलने लगता है| यह स्त्राव मासिक धर्म से पूर्व या बाद में भी होता है| यह दो प्रकार का होता है – श्वेत प्रदर और रक्त प्रदर| श्वेत प्रदर में सफेद रंग का और रक्त प्रदर में रक्त युक्त प्रमेह होता है|
वे सवेरे-सवेरे टहल कर लौटे तो कुटिया के बाहर एक दीन-हीन व्यक्ति को पड़ा पाया| उसके शरीर से मवाद बह रहा था| वह कुष्ठ रोग से पीड़ित था|