भक्त अंगरा जी (Bhagat Angra Ji)
गुरु ग्रंथ साहिब में एक तुक आती है:
पूर्व समय की बात है, संपूर्ण देवता और तपोधन ऋषिगण जब कार्य आरंभ करते तो उसमें उन्हें निश्चय ही सिद्धि प्राप्त हो जाती थी| कालांतर में ऐसी स्थिति आ गई कि अच्छे मार्ग पर चलने वाले लोग विघ्न का सामना करते हुए किसी प्रकार कार्य में सफलता पाने लगे और निकृष्ट कार्यशील व्यक्ति की कार्य-सिद्धि में कोई विघ्न नही आता था|
“Dhritarashtra said, ‘Thou hast, O son, mentioned the names of those ofmy side that have been slain in battle by the Pandavas. Tell me now, OSanjaya, the names of those amongst the Pandavas that have been slain bythe people of my side!’
श्याम बाबा जी का वर्णन महाभारत काल मे किया गया है| ऐसा माना जाता है कि श्याम बाबा जी की सच्चे मन से अराधना करने से सभी कार्यों मे सफलता मिलती है तथा सर्व मनो कामनाएं पूर्ण होती हैं| इनकी उपासना को बहुत पवित्र और स्वच्छ माना गया है| श्याम जी की आरती का बहुत महत्व है|
1 [बर]
के चिद बरह्ममयं वृक्षं के चिद बरह्ममयं महत
के चित पुरुषम अव्यक्तं के चित परम अनामयम
मन्यन्ते सर्वम अप्य एतद अव्यक्तप्रभवाव्ययम
1 [अस्त]
अत्रॊग्रसेनसमितेषु राजन; समागतेष्व अप्रतिमेषु राजसु
न वै विवित्सान्तरम अस्ति वादिनां; महाजले हंसनिनादिनाम इव
किसी नगर में एक जुलाहा रहता था| वह बहुत बढ़िया कम्बल तैयार करता था| कत्तिनों से अच्छी ऊन खरीदता और भक्ति के गीत गाते हुए आनंद से कम्बल बुनता| वह सच्चा था, इसलिए उसका धंधा भी सच्चा था, रत्तीभर भी कहीं खोट-कसर नहीं थी|