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एक कौआ जब-जब मोरों को देखता, मन में कहता- भगवान ने मोरों को कितना सुंदर रूप दिया है। यदि मैं भी ऐसा रूप पाता तो कितना मजा आता। एक दिन कौए ने जंगल में मोरों की बहुत सी पूंछें बिखरी पड़ी देखीं। वह अत्यंत प्रसन्न होकर कहने लगा- वाह भगवान! बड़ी कृपा की आपने, जो मेरी पुकार सुन ली। मैं अभी इन पूंछों से अच्छा खासा मोर बन जाता हूं।

“Sauti said, ‘O foremost of persons acquainted with Brahma, the mother ofthe snakes had cursed them of old, saying, ‘He that hath the Wind for hischarioteer (viz., Agni) shall burn you all in Janamejaya’s sacrifice!’ Itwas to neutralise that curse that the chief of the snakes married hissister to that high-souled Rishi of excellent vows.

इसकी आम्ल प्रकृति है| आयुर्वेदिक औषधि के अनुपात में इमली को सर्वत: प्रथम वर्जित किया गया है| सामान्य स्थिति में यदि इसका प्रयोग कर लिया जाता है, तो यह अनेक उपद्रव उत्पन्न कर, व्यक्ति को प्राण-हरण की चरमसीमा तक पहुंचा देती है| यह अत्यंत खट्टी, भारी, गर्म, रुचिकारक, मलावरोधक, अग्निदीपक, वातनाशक, रक्तदूषक, कफ-वित्तकारक एवं आंत्र-संकोचक है| पकी हुई इमली मधुर, शीतल, दाह, व्रण, अर्श (बवासीर), लू, कृमि एवं अतिसार नाशक होती है| इसे निम्न रोगों में प्रयोग किया जाता है –

दुर्योधन सदा से ही ही पांडवों को घृणा की दृष्टि से देखता था, परन्तु इंद्रप्रस्थ से लौटने के बाद से तो उसके क्रोध और ईर्ष्या की कोई सीमा नहीं थी| राजसूय यज्ञ में युधिष्ठिर को सर्वशक्तिमान राजा के रूप में प्रतिष्ठा पाते देख उसका हृदय ईर्ष्या से जल रहा था|

महाभारतके अद्वितीय योद्धा महाबली भीमकी बल और पौरुषमें तुलना करनेवाला उस समय कोई नहीं था| इनका जन्म वायुदेवके अंशसे हुआ था| इनके जन्मके समय यह आकाशवाणी हुई थी कि यह कुमार बलवानोंमें सर्वश्रेष्ठ होगा|

Janamejaya said, “Having heard of Karna’s fall and the slaughter of hissons, what, O foremost of regenerate ones, did the king say, after he hadbeen a little comforted? Indeed, poignant was the grief that heexperienced, arising from the calamity that befell his sons! Tell me, Iask thee, all that the king said on that occasion!”

ऋषभ के पुत्र भरत थे, जिनके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा| भारत के पुत्र शतश्रृंग हुए, उनके आठ पुत्र और एक पुत्री थी| पुत्रों के नाम इंद्रद्वीप, कसेरु, ताम्रद्वीप, गभस्तिमान, नाग, सौम्य, गंधर्व और वरुण थे| राजर्षि शतश्रृंग की कन्या का मुख बकरी के मुख की तरह था| ऐसा होने का कारण उसका पुनर्जन्म में बकरी-शरीर का होना था|

भूमिका:

पवित्र गंगा के किनारे काशी नगरी स्थित है जिसे बनारस भी कहा जाता है| इस नगरी में पन्द्रवी सदी में कभी घर-घर लोग रामानंद जी को याद करते थे| आप एक महा पुरुष हुए हैं| आप वैष्णव मत के नेता और योगी हुए हैं|