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अयोध्यानरेश महाराज दशरथ स्वायम्भुव मनुके अवतार थे| पूर्वकालमें कठोर तपस्यासे इन्होंने भगवान् श्रीरामको पुत्ररूपमें प्राप्त करनेका वरदान पाया था|

वनवास के तेरह वर्ष पूर्ण हो चुके थे और पांडव अपना राज्य वापस चाहते थे| युधिष्ठिर ने यह संदेश देकर अपने दूत को हस्तिनापुर भेजा| पांडव शांति की कामना करते थे, फिर भी उन्होंने संभावी युद्ध के लिए तैयारियाँ आरंभ कर दी थीं|

प्राचीन काल में माहिष्मति नाम की एक श्रेष्ठ नगरी थी, जो नृपश्रेष्ठ वरेण्य की राजधानी थी| महाराज वरेण्य परम धर्म परायण थे| ऐसा लगता था कि मानो मूर्तिमान धर्म ने उनके रुप में अवतार ग्रहण किया हो| वे बड़ी तत्परता से प्रजा का पालन करते थे| उन्हीं की भांति उनकी पत्नी महारानी पुष्पिका भी परम गुणवती, पतिव्रता एवं सदाचारिणी थी|