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मोतीराम महाजन अव्वल नंबर का कंजूस था| एक दिन शाम को जब वह घर लौट रहा था तो रास्तेभर यही सोचता रहा कि उसकी पत्नी और बच्चे बहुत खर्च करते है| यदि वह अधिक समय घर से बाहर रहेगा तो वो लोग उसको कंगला बनाकर ही छोडेंगे| श्रीमती जी दिन भर खरीददारी करती रहती है और बच्चे भी दिनभर कुछ-न-कुछ खाते-पीते रहते है| यह स्थिति तो तब है जब कड़ी निगरानी रखी जाती है|

महावीर स्वामी तपस्या में लीन थे। एक दुष्ट उनके पीछे लग गया। कई बार उसने महावीर स्वामी का अपमान किया, लेकिन वे सदैव शांत ही रहते। उन्होंने तो संसार को प्रेम का पाठ पढ़ाया था। वे कहते थे सदा प्रेम करो, प्रेम में ही परमतत्व छिपा है। जो तुम्हारा अहित करे उसे भी प्रेम करो।