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आग या किसी गरम वस्तु से जल जाने पर उस स्थान की त्वचा नष्ट हो जाती है, जिससे विषक्रमण (सेप्टिक) होने का भय रहता है| इसलिए रोगी को बाहर की दूषित वायु से जले हुए भाग की सुरक्षाकरना भी बहुत जरूरी है|

कमर का दर्द प्राय: गलत रहन-सहन से होता है| कमर को असंतुलित अवस्था में रखना ही इस दर्द का कारण बनता है| अत: इस रोग की दवा के साथ-साथ कमर को संतुलित एवं सीधी दिशा में रखना हितकर होता है|

द्रोणाचार्य भरद्वाज मुनिके पुत्र थे| ये संसारके श्रेष्ठ धनुर्धर थे| महाराज द्रुपद इनके बचपनके मित्र थे| भरद्वाज मुनिके आश्रममें द्रुपद भी द्रोणके साथ ही विद्याध्ययन करते थे|