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सुदर्शनचक्र, जो भगवान् विष्णु का अमोघ अस्त्र है और जिसने देवताओं की रक्षा तथा राक्षसों के संहार में अतुलनीय भूमिका का निर्वाह किया है और करता है, क्या है और कैसे भगवान् विष्णु को प्राप्त हुआ-इसकी कथा इस प्रकार है-

राजा वीरसेन को संत-सत्संग अतिप्रिय था। उनके दरबार में प्राय: दूर-दूर से साधु-संत आते थे और वीरसेन उन्हें यथोचित सम्मान देकर उनसे ज्ञान की बातें ग्रहण करते थे। एक दिन उनके राज्य की सीमा पर एक विख्यात संत ने डेरा डाला। राजा वीरसेन को पता चला तो वे स्वयं उसका सत्कार करने पहुंचे।