Chapter 167
“Vaisampayana said, ‘When Bhishma, after having said this, became silent,Yudhishthira (and the others) returned home.
“Vaisampayana said, ‘When Bhishma, after having said this, became silent,Yudhishthira (and the others) returned home.
1 [स]
दृष्ट्वा भीष्मेण संसक्तान भरातॄन अन्यांश च पार्थिवान
तम अभ्यधावद गाङ्गेयम उद्यतास्त्रॊ धनंजयः
Sanjaya said,–“Deserving as thou art, this question is, indeed, worthyof thee, O great king. It behoveth thee not, however, to impute thisfault to Duryodhana.
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।
राजा दुर्जय सभी शास्त्रों में निष्णात हो चुके थे और शत्रुओं को भी जीत लिये थे, किंतु अपनी इन्द्रियों पर विजय नहीं प्राप्त कर सके थे| जो मन से हार जाय उस पराक्रमी को पराक्रमी कैसे कहा जा सकता है?
भगवान बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के लिए घोर तप में लगे थे। उन्होंने शरीर को काफी कष्ट दिया, यात्राएं कीं, घने जंगलों में कड़ी साधना की, पर आत्मज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन निराश हो बुद्ध सोचने लगे- मैंने अभी तक कुछ भी प्राप्त नहीं किया।
खुदीराम बोस भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे| 19 वर्ष की अवस्था में ही अंग्रेजों पर हमला पहला बम फेंककर, हाथ में भगवद् गीता लेकर ‘वंदे मातरम्’ का नारा लगाते हुए फाँसी का फंदा चूम लिया था|
बिल्मा गोल्डी रूडाल्फ के बचपन की घटना है जब वह अपंग थी| एक दिन उसने कक्षा में खेल-खिलाड़ियों के विषय में प्रश्न किया तो कक्षा के बच्चे खिल-खिलाकर हँस पड़े|
यह सर्व गुण संपन्न है| पुराना गुड़ पाचक होता है| स्वास्थ्यवर्धक है; भूख को खोलने वाला है| वायु नाशक, पित्त, वीर्यवर्धक एवं रक्त शोधक है| सोंठ के साथ गुड़ वायु-संबधी समग्र विकारों को अतिशीघ्र दूर करता है| हृदय की दुर्बलता के लिए यह एक रामबाण औषधि है|
Vaisampayana said,–“Vidura then, thus commanded against his will by kingDhritarashtra, set out, with the help of horses of high mettle and enduedwith great speed and strength, and quiet and patient, for the abode ofthe wise sons of Pandu.