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जमशेदजी मेहता कराची के प्रसिद्ध सेठ व समाजसेवी थे। अपार धन के साथ उन्होंने उदार हृदय भी पाया था। असहायों के लिए मुक्त हस्त से व्यय करना उनकी प्रकृति में था।

एक बहुत ही सुंदर हरा-भरा वन था और वन के एक किनारे पर सुरम्य सरोवर था| उस सरोवर में बहुत-से हंस रहते थे| उन हंसों के राजा का नाम हंसराज था| वन में भी बहुत से पक्षी रहते थे, उन्हीं में एक था कनकाक्ष नामक उल्लू| उस उल्लू और हंसराज की प्रगाढ़ मित्रता थी|

पुत्र के लिये माता-पिता की भक्ति ही एकमात्र धर्म है| इसके अतिरिक्त पुत्र के लिये और कोई धर्म नहीं है| एक वर्ष, एक मास, एक पक्ष, एक सप्ताह अथवा एक दिन जो भी पुत्र माता-पिता की भक्ति करता है, वह वैकुण्ठलोक की प्राप्त करता है|