Chapter 28
Vaisampayana said,–in the meantime, Bhimasena also endued with greatenergy, having obtained the assent of Yudhishthira the just marchedtowards the eastern direction.
Vaisampayana said,–in the meantime, Bhimasena also endued with greatenergy, having obtained the assent of Yudhishthira the just marchedtowards the eastern direction.
यह रक्त, मांस, मेद तथा धातुवर्धक होती है| यह ओजकारक, रुचिकारक और तृप्तिदायक भी है| इसका नियमित सेवन हृदय के लिए भी अच्छा है| इससे प्यास दूर होकर शांति मिलती है| भोजन में इसका सेवन आवश्यक है| दस्त न रुकने पर शरीर से बहुत-सा पानी निकल जाने पर, शक्कर में थोड़ा-सा नमक मिलाकर पानी का सेवन करने से पानी की पूर्ति हो जाती है और जीवन बच जाता है| शक्कर के शरबत में नींबू का रस मिलाने से वो अधिक गुणकारी हो जाता है| आंखों की दुर्बलता दूर करने में भी यह उत्तम है|
एक बनजारा था| वह बैलों पर मेट (मुल्तानी मिट्टी) लादकर दिल्ली की तरफ आ रहा था| रास्तों में कई गाँवों से गुजरते समय उसकी बहुत-सी मेट बिक गयी| बैलों की पीठ पर लदे बोर आधे तो खाली हो गये और आधे भरे रह गये|
तन मन की सूद बिसर गई है सम मुख साई नाथ खड़े है
साई नाथ साई नाथ साई नाथ
“Sanjaya said, ‘During the progress of the fierce engagement, Bhima,while fighting along, being encompassed by innumerable foes, addressedhis driver, saying, “Bear me into the midst of the Dhartarashtra host.Proceed, O charioteer, with speed, borne by these steeds.
एक गांव में देवशंकर नाम का एक पण्डित रहता था| उसके यहां एक बार पुत्र ने जन्म लिया| ठीक उसी औरत के साथ ही नेवले ने भी एक बच्चे को जन्म दिया लेकिन वह नेवली बेचारी बच्चे को जन्म देते ही मर गई|
1 बृहदश्व उवाच
शरुत्वा वचः सुदेवस्य ऋतुपर्णॊ नराधिपः
सान्त्वयञ शलक्ष्णया वाचा बाहुकं परत्यभाषत
“Bhishma said, ‘It is even so as thou sayest, O thou of mighty arms.There is nothing untrue in all this that thou sayest, O thou of Kuru’srace, on the subject of women.
1 [वयास]
भूतग्रामे नियुक्तं यत तद एतत कीर्तितं मया
बराह्मणस्य तु यत्कृत्यं तत ते वक्ष्यामि पृच्छते