Chapter 50
Vaishampayana said, “In that tirtha lived in days of yore a Rishi ofvirtuous soul, named Asita-Devala, observant of the duties ofDomesticity.
Vaishampayana said, “In that tirtha lived in days of yore a Rishi ofvirtuous soul, named Asita-Devala, observant of the duties ofDomesticity.
“Yudhishthira said, ‘Why, O bull of Bharata’s race, have the Brahmanassaid that the king, that ruler of men, is a god?’
“Yudhishthira said, ‘O high-souled grandsire, thou hast duly discoursedto us on the subject of Sacrifices, including the merits in detail thatattach to them both here and hereafter.
प्रकृति ने बादाम को नयन की आकृति देकर इसके गौरव को अधिक ऊंचा उठा दिया| कोषाकारों ने प्रकृति के अमूल्य अनुदान का मूल्यांकन किया| उसे नेत्रोपम की संज्ञा से संबोधित किया| वास्तव में बादाम मेवा जगत् में नेत्रोपम है| यह शरीर को नववीर्य प्रदान करता है, नये रक्त का निर्माण करता है तथा मस्तिष्क को अभिनव शक्ति देता है और हृदय को बलशाली बनाता है| औषधि निर्माण में मुख्यत: कागजी बादाम प्रयुक्त होता है|
1 [वसिस्ठ]
सांख्यदर्शनम एतावद उक्तं ते नृपसत्तम
विद्याविद्ये तव इदानीं मे तवं निबॊधानुपूर्वशः
पहाड़ी की तलहटी में बना सुंदरपुर नामक एक गाँव था| सुंदरपुर में वैसे तो सुख-शांति का वास था लेकिन वहाँ के सरपंच की पत्नी कुमति बड़े ही दुष्ट स्वभाव की स्त्री थी| उसके कुटिल स्वभाव से सभी घरवाले परेशान थे| अपनी सीधी-सादी बहू सुकन्या को तो वह कुछ ज्यादा ही परेशान करती थी|
“Vaisampayana said, Dhritarashtra’s son, accompanied by all the kings,then addressed Bhishma, son of Santanu, and with joined hands said thesewords, ‘Without a commander, even a mighty army is routed in battle likea swarm of ants.
एक बार की बात है| एक राजा थे| उनका नाम जानश्रुति था| उनकी तीन पीढ़ियाँ जीवित थी| वह विख्यात ज्ञानी थे|