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एक बार की घटना है| 30 मार्च, 1919 के दिन दिल्ली में एक अभूतपूर्व हड़ताल हुई| सब ट्रामगाडियाँ और टाँगें बंद थे| दोपहर के समय स्वामी श्रद्धानंद जी को सूचना मिली कि दिल्ली स्टेशन पर गोली चल गई है|

एक बहुत बड़े और घने पीपल के तले एक तीतर ने अपना घोंसला बनाया| उस पीपल के इर्द-गिर्द और भी अनेक छोटे-बड़े पशु-पक्षी रहते थे| उन सभी से तीतर की अच्छी मित्रता थी|

1 [बर] गन्धान न जिघ्रामि रसान न वेद्मि; रूपं न पश्यामि न च सपृशामि
न चापि शब्दान विविधाञ शृणॊमि; न चापि संकल्पम उपैमि किं चित