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हनुमान जी के धर्म पिता वायु थे, इसी कारण उन्हे पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। बचपन से ही दिव्य होने के साथ साथ उनके अन्दर असीमित शक्तियों का भण्डार था।

1 [इन्द्र] कच चित सुखं सवपिषि तवं बृहस्पते; कच चिन मनॊज्ञाः परिचारकास ते
कच चिद देवानां सुखकामॊ ऽसि विप्र; कच चिद देवास तवां परिपालयन्ति