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एक वन के किसी भाग में एक वृक्ष था| उसकी एक लम्बी शाखा पर घोंसला बनाकर चटक दम्पत्ति निवास करती थी| उनका जीवन बड़ा सुखमय बीत रहा था| एक बार हेमन्त ऋतु की बात है कि एक दिन सहसा मन्द-मन्द वर्षा होने लगी| कहीं से ठण्ड में ठिठुरता हुआ एक बन्दर आकर उस वृक्ष की जड़ में बैठ गया| ठण्ड से उसके दांत किटकिटा रहे थे| उसे देखकर चिड़िया ने कहा, ‘भद्र! देखने में तुम हष्ट-पुष्ट हि लगते हो| फिर भी इतना कांप रहे हो| तुम अपना कोई घर ही क्यों नहीं बना लेते?’

गूलर को उदुम्बर, उम्बर, अंजेर आदम और किमुटी भी कहते हैं| गूलर की विशेषता यह है कि इसके फूल दिखाई नहीं देते| इसकी शाखाओं पर केवल फल दिखाई देते हैं|

हमने पढ़ा है कि राजा मनु को ही हजरत नूह माना जाता हैं। नूह ही यहूदी, ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना संसार की सभी सभ्‍यताओं में पाई जाती है। बदलती भाषा और लम्बे कालखंड के चलते इस घटना में कोई खास रद्दोबदल नहीं हुआ है। मनु की यह कहानी यहूदी, ईसाई और इस्लाम में ‘हजरत नूह की नौका’ नाम से वर्णित की जाती है।