अध्याय 48
1 [वै]
सुदीर्घम उष्णं निःश्वस्य धृतराष्ट्रॊ ऽमबिका सुतः
अब्रवीत संजयं सूतम आमन्त्र्य भरतर्षभ
1 [वै]
सुदीर्घम उष्णं निःश्वस्य धृतराष्ट्रॊ ऽमबिका सुतः
अब्रवीत संजयं सूतम आमन्त्र्य भरतर्षभ
एक वन के किसी भाग में एक वृक्ष था| उसकी एक लम्बी शाखा पर घोंसला बनाकर चटक दम्पत्ति निवास करती थी| उनका जीवन बड़ा सुखमय बीत रहा था| एक बार हेमन्त ऋतु की बात है कि एक दिन सहसा मन्द-मन्द वर्षा होने लगी| कहीं से ठण्ड में ठिठुरता हुआ एक बन्दर आकर उस वृक्ष की जड़ में बैठ गया| ठण्ड से उसके दांत किटकिटा रहे थे| उसे देखकर चिड़िया ने कहा, ‘भद्र! देखने में तुम हष्ट-पुष्ट हि लगते हो| फिर भी इतना कांप रहे हो| तुम अपना कोई घर ही क्यों नहीं बना लेते?’
“Yudhishthira said, ‘Amongst all those gifts that are mentioned in thetreatises other than the Vedas, which gift, O chief of Kuru’s race, isthe most distinguished in thy opinion? O puissant one, great is thecuriosity I feel with respect to this matter. Do thou discourse to mealso of that gift which follows the giver into the next world.'[317]
“Yudhishthira said, ‘Thou hast, O Bharata, discoursed upon the manyduties of king-craft that were observed and laid down in days of old bypersons of ancient times conversant with kingly duties.
गूलर को उदुम्बर, उम्बर, अंजेर आदम और किमुटी भी कहते हैं| गूलर की विशेषता यह है कि इसके फूल दिखाई नहीं देते| इसकी शाखाओं पर केवल फल दिखाई देते हैं|
1 [वयास]
दवन्द्वानि मॊक्षजिज्ञासुर अर्थधर्माव अनुष्ठितः
वक्त्रा गुणवता शिष्यः शराव्यः पूर्वम इदं महत
1 [दूृ]
एहि कषत्तर दरौपदीम आनयस्व; परियां भार्यां संमतां पाण्डवानाम
संमार्जतां वेश्म परैतु शीघ्रम; आनन्दॊ नः सह दासीभिर अस्तु
हमने पढ़ा है कि राजा मनु को ही हजरत नूह माना जाता हैं। नूह ही यहूदी, ईसाई और इस्लाम के पैगंबर हैं। इस पर शोध भी हुए हैं। जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना संसार की सभी सभ्यताओं में पाई जाती है। बदलती भाषा और लम्बे कालखंड के चलते इस घटना में कोई खास रद्दोबदल नहीं हुआ है। मनु की यह कहानी यहूदी, ईसाई और इस्लाम में ‘हजरत नूह की नौका’ नाम से वर्णित की जाती है।