अध्याय 29
1 [दरौ]
अत्राप्य उदाहरन्तीमम इतिहासं पुरातनम
परह्लादस्या च संवादं बलेर वैरॊचनस्य च
बद्रीनारायण में एक साधु की अँगुली में पीड़ा हो गयी| किसी ने कहा कि यहाँ अस्पताल है, जहाँ मुफ्त में इलाज होता है| आप वहाँ जाकर पट्टी बँधवा लें| उस साधु ने उत्तर दिया कि अँगुली की पीड़ा तो मैं सह लूँगा, पर मैं किसी को पट्टी बाँधने के लिये कहूँ-यह पीड़ा मेरे से सही नहीं जाती!
1 [वि]
दयूतं मूलं कलहस्यानुपाति; मिथॊ भेदाय महते वा रणाय
यद आस्थितॊ ऽयं धृतराष्ट्रस्य पुत्रॊ; दुर्यॊधनः सृजते वैरम उग्रम
“Yudhishthira said, ‘How should a righteous king, who is opposed by hisown officers, whose treasury and army are no longer under his control,and who has no wealth, conduct himself for acquiring happiness?’
“Yudhishthira said, ‘I have been greatly assured, O thou of puissance, bythee thus discoursing unto me of duties. I shall, however, giveexpression to the doubts I have.
पौष्टिक एवं विटामिन प्रधान खाद्य-पदार्थों में काजू सर्वश्रेष्ठ है| यह स्निग्ध है, मधुर है, ग्राही है व धातु परिवर्तक है, मूत्रल है; हृदय एवं नाड़ी-दौर्बल्यनाशक है तथा स्मृति को उजागर करता है| प्रात: खाली पेट काजू खाकर, ऊपर से शहद का प्रयोग अतिशीघ्र स्मृति-विकास करता है| इसके प्रयोग से छूत का रोग सहज ही दूर हो जाता है| इसे मुनक्का के साथ खाने से कोष्ठबद्धता दूर होती है|
“Bhishma said, ‘Drupada, O chastiser of foes, bestowed great attention oneverything in connection with that daughter of his, teaching her writingand painting and all the arts.