मूर्ख विद्वान
बहुत समय पहले किसी नगर में चार मित्र रहते थे| उनमें गहरी दोस्ती थी| वे हमेशा साथ-साथ रहते थे| उनमें से तीन व्यक्ति बड़े ही विद्वान थे| उन्होंने इतना कुछ सीखा-पढ़ा था कि आगे और सिखने के लिए कुछ नहीं बचा| परन्तु इतने पढ़े-लिखे होने पर भी उनमें सामान्य बुद्धि बिलकुल नहीं थी| इन तीनों के विपरीत, चौथा इतना पढ़ा-लिखा तो नहीं था, पर उसमें अक्ल और समझ कूट-कूटकर भरी थी|