Home2011October (Page 49)

“Vaisampayana said,–Beholding that vast assembly of kings agitated withwrath, even like the terrific sea agitated by the winds that blow at thetime of the universal dissolution, Yudhishthira addressing the agedBhishma, that chief of intelligent men and the grandsire of the Kurus,even like Puruhita (Indra) that slayer of foes, of abundant energyaddressing Vrihaspati, said,–‘This vast ocean of kings, hath beenagitated by wrath.

पृथु नामक एक कर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे| वे प्रतिदिन संध्या, होम, तर्पण, जप-यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों में लगे रहते थे| उन्होंने मन और इन्द्रियों को वश में कर लिया था|

गले में सूजन कोई बीमारी नहीं है| लेकिन जब किन्हीं दूसरी व्याधियों के कारण गला सूज जाता है या लाल पड़ जाता है तो इसे रोग की श्रेणी में माना जाता है|

हाथ, पैरों, टखने या कुहनी आदि में मोच आने पर बाजारू पहलवानों से मलीद आदि नहीं करानी चाहिए| इससे अधिकांशत: नुकसान उठाना पड़ता है| इसका कारण यह है की मोच आने से नस-नाड़ियों के तंतु टूट जाते हैं| ऐसे में कड़ी मालिश से वे अधिक क्षत-विक्षत हो सकते हैं|