राजा बली (Raja Bali)
सद्पुरुष कहते हैं, पुरुष को तपस्या करने से राज मिलता है, पर राज प्राप्ति के बाद उसको नरक भोगना पड़ता है, ‘तपो राज तथा राजो नरक’ इसका मूल भावार्थ यह है कि राज प्राप्ति के पश्चात मनुष्य अहंकारी हो जाता है|
सद्पुरुष कहते हैं, पुरुष को तपस्या करने से राज मिलता है, पर राज प्राप्ति के बाद उसको नरक भोगना पड़ता है, ‘तपो राज तथा राजो नरक’ इसका मूल भावार्थ यह है कि राज प्राप्ति के पश्चात मनुष्य अहंकारी हो जाता है|
अबु उस्मान हैरी बड़े ऊंचे दर्जे के संत थे| उनका स्वभाव बहुत ही शांत था| वे सबके साथ प्रेम का व्यवहार करते थे, कभी कोई कड़वी बात कह देता था तो वे बुरा नहीं मानते थे| क्रोध तो उन्हें आता ही नहीं था|
“Yudhishthira said, ‘What men, O chief of Bharata’s race, are worthy ofreverent homage in the three worlds? Tell me this in detail verily. I amnever satiated with hearing thee discourse on these topics.’
1 [य]
यया बुद्ध्या महीपालॊ भरष्ट शरीर विचरेन महीम
कालदण्ड विनिष्पिष्टस तन मे बरूहि पितामह
“Bhishma said, ‘After the fowler had left that spot, the she-pigeon,remembering her husband and afflicted with grief on his account, weptcopiously and indulged in these lamentations, ‘I cannot, O dear lord,recollect a single instance of thy having done me an injury!
किसी वन में हाथियों के झुंड के साथ उनका मुखिया चतुर्दन्त रहता था| एक बार उस वन में कई वर्षों तक वर्ष नही हुई, जिसकी वजह से छोटे-बड़े और कच्चे-पक्के सरोवर सूखने लगे| इसके फलस्वरूप प्रतिदिन हाथी काल का ग्रास बनने लगे| ऐसी विकट स्थिति में हाथियों ने अपने मुखिया चतुर्दन्त से प्यास से मरते परिजनों के लिए नया जलाशय खोजने की प्रार्थना की|
नदी की अनेक धाराएं साथ-साथ बहती चली आ रही थीं। उन्हीं में से एक धारा अपने गतिशील जीवन से ऊबकर आगे न जाकर आम के वृक्षों की छाया तले विश्राम करना चाहती थी। तब एक अन्य धारा ने समझाया कि गतिशीलता में ही हमारी पवित्रता है।