धन्य कौन?
एक बार भगवान् श्रीकृष्ण हस्तिनापुर से दुर्योधन के यज्ञ से निवृत होकर द्वारका लौटे थे| यदुकुल की लक्ष्मी उस समय ऐन्द्री लक्ष्मी की भी मात कर रही थी| सागर के मध्य स्थित श्रीद्वारकापुरी की छटा अमरावती की भी तिरस्कृत कर रही थी|
एक बार भगवान् श्रीकृष्ण हस्तिनापुर से दुर्योधन के यज्ञ से निवृत होकर द्वारका लौटे थे| यदुकुल की लक्ष्मी उस समय ऐन्द्री लक्ष्मी की भी मात कर रही थी| सागर के मध्य स्थित श्रीद्वारकापुरी की छटा अमरावती की भी तिरस्कृत कर रही थी|
“Sanjaya said, ‘Thus addressed by Yudhishthira, Kunti’s son owning whitesteeds, filled with rage, drew his sword for slaying that bull ofBharata’s race.
महर्षि रमण को कौन नहीं जानता! वे बहुत महान संत थे| अपने पास कुछ भी नहीं रखते थे| उनके तन पर कोपीन को छोड़कर कोई अन्य कपड़ा नहीं रहता था|
प्राचीन काल से भारत में अनेक प्रकार के प्रभु भक्ति के साथ रहे हैं| उस पारब्रह्म शक्ति की आराधना करने वाले कोई न कोई साधन अख्तयार कर लेते थे जैसा कि उसका ‘गुरु’ शिक्षा देने वाला परमात्मा एवं सत्य मार्ग का उपदेश करता था भाव-प्रभु का यश गान करता था|
1 बृहदश्व उवाच
अथ तां वयुषितॊ रात्रिं नलॊ राजा सवलंकृतः
वैदर्भ्या सहितः काल्यं ददर्श वसुधाधिपम
“Bhishma said, ‘One should always offer the most reverent worship untothe Brahmanas. They have Soma for their king, and they it is who conferhappiness and misery upon others.
1 [स]
ततस तमिन दविजश्रेष्ठ समुदीर्णे तथाविधे
गरुत्मान पक्षिराट तूर्णं संप्राप्तॊ विबुधान परति