अध्याय 220
1 [य]
मग्नस्य वयसने कृच्छ्रे किं शरेयः पुरुषस्य हि
बन्धुनाशे महीपाल राज्यनाने ऽपि वा पुनः
1 [य]
मग्नस्य वयसने कृच्छ्रे किं शरेयः पुरुषस्य हि
बन्धुनाशे महीपाल राज्यनाने ऽपि वा पुनः
“Bhishma said, ‘In one of the branches of that tree, a pigeon withbeautiful feathers, O king, lived for many years with his family. Thatmorning his wife had gone out in search of food but had not yet returned.
एक राजा समय-समय पर प्रतियोगिताएं आयोजित करवाता और विजेता को सम्मान सहित पारितोषिक भी देता। प्रजा इससे उत्साहित रहती थी। एक बार उसने राजपुरुष के चयन की प्रतियोगिता रखी। उसने एक वाटिका बनवाई जिसमें हर तरह की वस्तुएं रखी गईं। लेकिन उन पर उनका मूल्य नहीं लिखा था।
“Dhritarashtra said, ‘Hearing, O Sanjaya, of the slaughter, byunrighteous means, of his aged sire, by Dhrishtadyumna, what, did thevaliant
एक खरगोश बेहद आलसी और कामचोर था| एक बार वह पेड़ के नीचे बैठा था| वही एक डंडा भी पड़ा था| खरगोश ने वह डंडा उठा लिया और उसे ज़मीन पर मारने लगा| ज़मीन पर डंडा मारते हुए वह सोच रहा था कि काश मुझे ढेर सारी गाजरें मिल जाती|
“Vaisampayana said, ‘When the king of the Matsyas, anxious of recoveringthe kine, had set out in pursuit of the Trigartas, Duryodhana with hiscounsellors invaded the dominions of Virata.
भारत के संत स्वामी विवेकानंद ‘विश्व धर्म’ सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका पहुँचे| वह सादे वस्त्रों में एकाकी एक बगीचे में बैठे थे कि एक भद्र अमेरिकी महिला उनके पास पहुँची| वह थोड़ी ही बातचीत से प्रभावित हो उठी|